कितनी राते जागकर
हमनें सुब्हा करी है
तू भी तो आमीन कह दे
हमने दुआ करी है
जिंदगी तो ओस का पानी ह
दो पल की ये जवानी है
गिरकर के तेरे प्यार मे
हमने ही दूहा करी है
तू मुकाम हैं मेरी बर्बादी का
या प्यार का कोई जजीरा है
दिल होकर के तभा भी
यू बनता फिरे फकीरा है
कोई दोष नही ह तुम्हारा
ये दोष भी है हमारा
ये खेल के इश्क की बाजी
सारी ज़िन्दगी जुआ करी है

